The Purpose of our Life हमारे जीवन का उद्देश... महान होना चाहीये।

इस संसार में विभिन्न तरह के व्यक्ती होते हैं. हर व्यक्ती का जीवन जीने का तरीका अलग होता है जीवन का उद्देश्य कुछ अलग ही रहता है और देखा जाए तो ज्यादातर लोग सिर्फ जीवन को काट रहे है मतलब सिर्फ एक।

दशरथ मांजी की कहनी तो आपने सुनी ही होगी। अपनी पत्नि को गवाने का कारण सिर्फ पत्नी को समय पर अस्पताल में नहीं पहुंचा पाये और उसके लिए कारण सिर्फ बिच रास्ते में आनेवाले पहाड़ को घूम कर जाना पड़ा और यही समय दूरी उनकी पत्नी के मृत्यु का कारण बनी। पत्नी को खोना और पहाड़ उन्हें रातभर सोने नहीं दे रहे थे और अंत में उन्होंने उस पहाड़ को खोदकर तोड़कर उसमें रास्ता बनाने का उद्देश अपने जीवन में रखकर दिन रात छनी, पोडे से उस पहाड़में से रास्ता बना दिया। जब यह तोड़ने का कार्य शुरू था तब यह लोग दशरथ माजीको देखकर कहते थे ये इंसान पत्निके वियोग में पागल हो गया है, एक भी व्यक्ती उनके इस कार्य को सही नहीं मानता था। दिन, महीने, सात, चितते गये और अंतमें यह क्षण आ ही गया जब दशरथ मॉजीने उस बड़े पहाड़ को अपनी मेहनत और लक्ष से तोड़कर बिच में से रास्ता बना डाला। उसके बाद सारे संसार ने दशरथ माँजीको सर पर चढ़ाया उनकी वाह वाह की मगर इस सफलता के पिछे सिर्फ और सिर्फ वह अकेले ही थे। इस कहानी से हमे देखा हुआ सपना कब पूर्ण करूंगा। सिर्फ नोकरी पाना यह लक्ष रखा तो सिर्फ नोकर बनेगा मगर जीवन जीने का उदेश रखा तो बड़ा महान व्यक्ति बनेगा या बड़ा बिझनेसमॅन बनेगा। अगर मेहनत करकर भी असफलता हाथ आयी तो वह उसका अनुभव (Experience) होगा। उस अनुभव के आधार पर यह नये नियम लगाकर एक दोन सफलता जरूर हासिल करेगा याने जीवन में प्राप्त होने वाली असफलता में से 'अ' को काटा तो सफलता यह शब्द मिलता है इससे यह साबीत होता है की सफलता प्राप्त करने के पहले असफलता से सामना करना ही पड़ेगा। आपको संसार में ऐसा कोई भी व्यक्ती नहीं मिलेगा की जीसने बिना किसी असफलता के सिया सिर्फ सफलताही प्राप्त की है। हमारे मा. प्रधानमंत्री श्री मान. नरेंद्रजी मोदी उनकी सफलता की नीव उनके बचपन में ही रखी गयी थी। एक चाय बेचने वाला लड़का एक दिन एक बड़े देशका प्रधानमंत्री बनता है तो आप सोच सकते है की कितनी बड़ी समस्या उस व्यक्तिने की होगी क्या हम इस तरह की तपस्या करने के लिए तैय्यार है। सफलता अगर थोड़ी सी मेहनत करकर अगर प्राप्त होती तो संसार का हर इंसान सफल होता मगर यह नहीं हो सकता।

अपने पर परीवार से समाजसे और अपने व्यवसायसे, प्रतिष्ठासे मान सन्मान यह तभी प्राप्त होना है। जब हम कुछ असंभव लगने वाले कार्य को हमारी पूरी लगन मेहनत से सफल करते हैं। जीवन में सिर्फ आध्यात्मिक होने (Spiritual) से ही व्यक्ती सफल नहीं हो सफता आध्यात्मिकता से आपका मन, मस्तिष्क आपके हाथो में रहता है|

मगर बिना किसी कार्य के आप (Control) सफल व्यक्ती नहीं बन सकते। अब अच्छा जीवन जीने के लिए व्यक्ती का आध्यात्मिक होना और जीवन का उदेश होना बहोत ज्यादा जरूरी है। अगर सिर्फ परिवार का पालनपोषण करना ही जीवन जीने का मुख्य उद्देश्य है तो वह पूर्ण रूप से सहीं नहीं है। हमारा जीवन जीने का उद्देश्य यही रहना चाहीए की आपके जीवन को देखकर, समझकर बाकी लोग भी उस राह पर चलना चाहीए ऐसी सोय अगर उनमें आती है तो ही हमारे जीवन का उद्देश्य सफल होता है।

हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपती डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलान साहाब का जन्म एक गरीब परीवार में हुआ मगर उनके सपने बहोत बड़े थे। पायलट बनने का जीवन का सपना उनका पूर्ण नही हुआ था सात बार इंटरव्यु देकर भी उन्हे सफलता प्राप्त नहीं हुई थी, वजह कुछ भी हो मगर वह ना हारते, थकते हुए निरंतर कार्य करते रहे और एक दिन इस देश के राष्ट्रपती बने। आर्मी, नेव्ही, एअरफोर्स तीनों सेवाओ के मुखीया बने तब उन्होंने फायटर प्लेन खुद पायलट बनकर उड़ाया इसका मतलब अगर आपके जीवन का उद्देश हमेशा आपके दिमाग मे है और आप निरंतर कार्य करते रहते तो थे संसार (Universe) भी आपका सपना पूर्ण करने में आपका सहयोग देती है। यह सिद्ध होता है। ऐसे महान व्यक्तियो के जीवन के उद्देश के उदाहरण ही हमें यह सिखाते है की हमारे जीवन जीने का उद्देश्य कैसा होना चाहीए।

अगर संसार में अपना नाम मृत्यू के पश्चात भी जीवंत रखना है तो आपको एक ऐसा महान उद्देश रखना होगा की लोग आपके जीवन जीने के उद्देश को लेकर आप का नाम याद रखें। माता सिंधुताई सपकाळ इन्हें कोई याद नहीं रखता अगर पारीवारीक परेशानियों से त्रस्त होकर उन्होंने अपनी जीवन लीला समाप्त की होती मगर उन्होंने अपने जीवन का लक्ष उद्देश्य बनाया और निरंतर उस उद्देश्य को पूर्ण करने में जुट गयी और उसका प्रतिफल आज सारा संसार माता सिंधुताई सपकाळ को उनके नाम को उनके द्वारा किये हुये कार्य से जाना जाता है। अगर सिंधुताई सपकाळ ने इस बड़े उद्देश्य को नही लिया होता और कोई भी इस तरह के महान कार्य को ना करते हुये सामान्य व्यक्ती जैसे जीवन जीया होता तो क्या सिंधुताई सपकाळ का नाम संसार में प्रसिद्ध होता ।

जीवन जीते समय अगर किसी भी इंसान का कोई भी जीवन जीने का उद्देश्य नहीं है तो वह एक पशु जैसा जीवन है उसे जब चाहे वैसा जीयेगा इसका मतलब समुंदर में एक भटकती हुई दिशाहीन नाव उस नाव का कोई भी किनारा पाने का उद्देश्य नहीं है। हो सकता है भंवर में वह नाव टुकडे-टुकडे हो जायेगी। या डुब जायेगी वैसा ही दिशाहीन जीवन जीनेवाले व्यक्ती के साथ होता है। इसीलिये हर व्यक्ती को अपने जीवन जीने का उद्देश रखना चाहिए|

आपका उद्देश नही है तो सोचकर बनाना चाहीए। जीवन का उद्देश ब्रेडेसे समय का हो ही नहीं सकता वह बहोत बड़े समय का और असंभव वृक्ष होना चाहीए जीसे पूर्ण करने पर सारा संसार यह बोलकर आपको याद खेगा की यह असंभव कार्य इस् व्यक्तीने संभव कर दिखाया। इस तरह का आपके जीवन जीने का उद्देश्य होना चाहिए। पुरुष हो या स्त्री दोनों के लिये श्री जीवन जीने का उद्देश्य होता है यह उनकी स्वयं की सोय पर निर्भर करता का है। घर में अगर माता पिता ने अपने बच्चोंको अच्छा बड़ा महान व्यक्ति बनाने का अगर उद्देश्य रखा तो उस परीवार के बच्चे बड़े होकर उस परीवार का नाम रोशन करते है और अगर घरमें रहने वाली माता और पिता का कोई भी उद्देश्य | उनके बच्चों के प्रती नहीं है। बस जैसा चल रहा है वैसा जीवन काट रहे है | तो उस परीवार की नयी पिढी उतनी प्रभावी नहीं होंगी। हम पछताते है और कहते है बच्चों ने हमारा नाम डुबो दिया मगर क्या आप इस बात को मानते है की इस नाव को चलाने वाले आप स्वयं थे तो आपने इस नाव को पहले की सही दिशा क्यों नही दि. इसकी वजह आप अपने बच्चों पर नही तो इसकी मुख्य वजह थी आपके जीवन जीने का उद्देश्य। यह निर्णय सिर्फ और सिर्फ आपके हाथ में था इस बात को हमें भुलना नहीं चाहीए। अगर हमारा जीवन जीने का उद्देश नही रहा तो हमारा जीवन किस तरह रहेगा, हम कैसे जीवन दीयेंगे इसकी डोर किसी दुसरे व्यक्ती के हाथों में होगी क्योंकी ऐसे व्यक्तियोंको कोई दुसरा व्यक्ती नियंत्रित करता है और अपना गुलाम बनाता है।

जीवन जीने का उद्देश निहीत व्यक्ती आलसी और हमेशा नकारात्मक विचारों से भरा रहता है। उसका मन मस्तिष्क, शरीर ये तिनों शरीर पर नियंत्रण करने वाले शिथील रहते है और शिथील व्यक्ती जीवन में बहुत कुछ पाने से वंचित रहता है। अपने परीवार के साथ-साथ समाज में बदलाव लाना जीने का उद्देश हो सकता है ऐसे समाजसेवी व्यक्तियों द्वारा एक जीवन भी समाज मे अपने समाज के व्यक्तियो का जीवन उन्होंने कैसे जीना चाहीए यह विचार और उसपर कार्य ये दोनो अगर साथ साथ होते है तो समाज में रहने वाले व्यक्ती जीवन जीने के विचार और कार्य से प्रेरीत होकर उद्देशपूर्ण जीवन जीकर अपना परीवार तथा समाज दोनों भी प्रगतीपथ पर चल सकते है। यह सिर्फ एक समाजसेवी व्यक्ती द्वारा भी किया जा सकता है। अगर हर व्यक्ति खुद का जीवन जीने का उद्देश मनमें रखकर जीवन जीता है तो उस व्यक्ती के परीवार का हर एक सदस्य अपने जीवन जीने का उद्देश रखने लग जाएगा और इसी तरह बहोत ही जल्द उस परीवार में अच्छे बदलाव दिखने लग जायेंगे और आनेवाले समय अपने आप हर एक परीवार में होने वाला बदलाव समाज में बदलाव लायेगा और अंत में हमारा भारत देश संसार में एक उद्देश्यपूर्व राष्ट्र नाम से जाना जाएगा मगर इसके लिए हमने स्वयं से शुरुवात करनी होगी और अपने आपसे पुछना पड़ेगा की मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है?

by:
प्रशांत निनावे

- नागपूर

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